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Kalyug ki 5000 varsh ayu ke praman

Kalyug ki 5000 varsh ayu ke praman

Kalyug ki 5000 varsh ayu ke praman

वायु पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, मनु स्मृति, गर्ग संहिता, निर्णय सिन्धु, सूर्य सिद्धांत, कालज्ञानं और भविष्य मालिका जैसे प्राचीन ग्रंथो से कलियुग की सही आयु (5000 वर्ष) के सम्बन्ध में प्रमाण |

मनु स्मृति

(अध्याय 1, श्लोक 69)

✅ चत्वार्याहुः सहस्त्राणि वर्षाणां तु कृतम् युगम्। तस्य तावच्छती संध्या संध्यांशश्च तथाविधः॥

♦ अर्थात चार हजार वर्ष के पश्चात सतयुग आता है। उस चार हजार वर्ष के परमायु का एक दशमाँश वर्ष का संध्या समय होता है।


वायु पुराण

(श्लोक 28, पृष्ठ 466- https://archive.org/details/WHtZ_vayu-puran-vol-1-shri-ram-sharma-acharya/page/n159/mode/2up)

✅ एषां द्वादशसाहस्त्री युगाख्या परिकीर्तिता | कृतं त्रेता द्वापरंच कलिश्चैव चतुष्टयं |

♦ अर्थात सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग और कलियुग इसी क्रम में युगों की व्याख्या की गई है जो की कुल मिलाकर 12000 साल है |


सूर्य सिद्धांत

(श्लोक 15, पृष्ठ 9, https://archive.org/details/wg440/page/n27/mode/2up)

✅ तद्वादशसहस्राणि चतुर्युगमुदाहृतम् सूर्याब्दसङ्ख्यया द्वित्रिसागरैरयुताहतैः | सन्ध्यासन्ध्यांशसहितं विज्ञेयं तच्चतुर्युगम् कृतादीनां व्यवस्थेयं धर्मपादव्यवस्थया |

♦ चारो युगों का मिला के 12000 साल भोग होता है | संध्या और संध्यांश को मिला के चारो युगों की यही धार्मिक व्यवस्था है |


निर्णय सिन्धु

( कलिवर्ज्यानी, तृतीय परिच्छेद, पृष्ठ 482, https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.495888/page/n513/mode/2up)

✅ एतेन चत्वर्याब्धसहस्त्राणि, चत्वर्याब्धशतानि च | कलेर्यदा गमिष्यन्ति तदा त्रेतापरिग्रह: ||

♦ अर्थात 4,000 सालों के बाद संध्या समय 400 वर्ष , फिर उसके बाद के युग प्रारंभ का संध्या समय के 400 वर्ष को मिला कर, कलियुग को कुल 4800 वर्ष भोग होगा।


गर्ग संहिता

(अश्वमेघखण्डम्, श्लोक 29,अध्याय - 62)

✅ अब्दाश्चतुःसहस्राणि कलौ पञ्च शतानि च। गते गिरिवरे हि श्रीनाथः प्रादुर्भविष्यति ॥

♦ अर्थात कलियुग के 4000 वर्ष भोग होने के बाद, इसके संध्या समय के 400 वर्ष बाद, भगवान महाविष्णु (श्रीनाथ) धरती पर अवतार लेंगे और पाप के भार का अंत करेंगे।


ब्रह्म वैवर्त पुराण

= (पेज 202, श्लोक 89, प्रकृति खंड, अध्याय 6)

✅ कलौः पञ्चसहस्रे च गते वर्षे च मोक्षणम्। युष्माकं सरितां भूयो मद्गृहे चागमिष्यथ॥

♦ माँ लक्ष्मी, सरस्वती और गंगा को आपस में शाप के कारण पृथ्वी पे अवतीर्ण होना पड़ा | उनके उद्धार के विषय में प्रभु बता रहे है की कलियुग के पांच सहस्त्र वर्षो के पश्चात आपका मोक्ष होगा और नदी के रूप से मुक्त होकर आप वापस मेरे पास वैकुण्ठ में आ जाओगी|

(श्लोक 50, कृष्ण जन्म खंड, अध्याय 129)

✅ कलेः पञ्चसहस्राणि वर्षाणि तिष्ठ भूतले। पापानि पापिनो यानि तुभ्यं दास्यन्ति स्नानत । ॥५०॥ मन्मन्त्रोपासकस्पर्शाद्भस्मीभूतानि तत्क्षणात्। भविष्यन्ति दर्शनाच्च स्नानादेव हि जाह्नवि।।

♦ श्रीकृष्ण ने कहा- हे गंगा, तुम कलियुग में पांच हजार वर्ष तक पृथ्वी पर रहोगी। तुम्हारे जल में स्नान कर के मंत्रों के जाप से और तुम्हारे दर्शन करके पुण्य कमाने वाले भक्तो के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।

(श्लोक 60, कृष्ण जन्म खंड, अध्याय 129)

✅ मद्भाक्ताशुन्य पृथ्वी कलिग्रस्त भविष्यति एतस्मिन्नन्तरे तत्र क्रिश्नादेहद्विनिर्गतः।।

♦ मेरे भक्तो से रहित पृथ्वी कलि के प्रभाव से ग्रसित हो जायेगी| ऐसा कहके श्री कृष्ण ने देहत्याग कर दिया|

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https://www.youtube.com/watch?v=6a_SS1QRS2Q
youtu.be/ntCgp13ywGQ